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अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के बारे में

सामाजिक न्याय तथा सशक्तिकरण मंत्रालय अनुसूचित जातियों के हितों की निगरानी करने वाला प्रमुख मंत्रालय है। अनुसूचित जातियों के हितों को बढ़ावा देने की मुख्य जिम्मेदारी केंद्र तथा राज्य सरकारों के सभी मंत्रालयों के अपने-अपने कार्य क्षेत्रों में तो है ही, साथ ही यह मंत्रालय विशेष रूप से तैयार योजनाओं के जरिए अहम क्षेत्रों में पहल कर इस कार्य को और आगे बढ़ाता है। राज्य सरकारों तथा केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा अनुसूचित जातियों के हितों की रक्षा तथा उन्हें बढ़ावा देने वाले प्रयासों की निगरानी भी की जाती है।

अनुसूचित जाति विकास ब्यूरो के तहत यह मंत्रालय अनुसूचित जाति उप-योजना (SCSP) का क्रियांवयन करता है, जो अनुसूचित जातियों के लाभों के लिए सभी सामान्य विकास क्षेत्रों से लक्षित वित्तीय तथा भौतिक लाभों के प्रवाह को सुनिश्चित करने वाली एक छत्र रणनीति है। इस रणनीति के तहत राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी वार्षिक योजनाओं के एक हिस्से के रूप में अनुसूचित जातियों की विशेष घटक योजनाओं (SCP) का संचालन तथा क्रियांवयन करना होगा। वर्तमान में 27 राज्य तथा ऐसे कें. शा. प्रदेश - जिनमें बड़ी संख्या में अनुसूचित जातियों की मिलती है, अनुसूचित जाति उप-योजना का क्रियांवयन कर रहे हैं।

अनुसूचित जातियों के विकास का अन्य नीतिगत प्रयास है विशेष घटक योजना को विशेष केंद्रीय सहायता, जिसमें राज्यों/केंद्र प्रदेशों की अनुसूचित जाति उपयोजनाओं को शत-प्रतिशत सहायता दी जाती है, जिसके कुछ आधार हैं जैसे- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या, राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में अनुसूचित जाति का तुलनात्मक पिछड़ापन, राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में अनुसूचित जाति के परिवारों को गरीबी की रेखा के नीचे से ऊंचा उठाने के लिए लागू समेकित आर्थिक विकास कार्यक्रमों की प्रतिशतता, राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की SC जनसंख्या की प्रतिशतता के मुकाबले वार्षिक योजना के लिए अनुसूचित जाति उप-योजना की प्रतिशतता।

इस मंत्रालय के तहत गठित राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त तथा विकास निगम गरीबी की रेखा से दोगुना नीचे बसर करने वाली अनुसूचित जातियों के लोगों की आय सृजन गतिविधियों के लिए ऋण सुविधा प्रदान करता है (वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रु. 40,000 वार्षिक तथा शहरी इलाकों के लिए रु. 55,000 वार्षिक)।

इस मंत्रालय के तहत आने वाला अन्य निगम है- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त तथा विकास निगम (NSKFDC), जो सफाई कर्मचारियों, मैला साफ करने वालों तथा उनके आश्रितों को उनके सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु आय सृजन गतिविधियों के लिए ऋण सुविधा प्रदान करता है।

अनुसूचित जातियों के अधिकारों की रक्षा के लिए मंत्रालय दो अधिनियमों को लागू करता है, जो इस प्रकार हैं:

  • नागरिक अधिकार अधिनियम (सुरक्षा)1955
  • अनुसूचित जाति तथा जनजाति (उत्पीड़न सुरक्षा अधिनियम 1989)।

यह मंत्रालय अनुसूचित जाति के विकास से जुड़े निम्नांकित अहम मामलों से भी निपटता है:

  • 20 सूत्री कार्यक्रम के सूत्र 11(A) की निगरानी- अनुसूचित जाति को न्याय।
  • अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातियों के लिए निजी सेक्टर में आरक्षण समेत सक्रिय कदम उठाना

अनुसूचित जाति उप-योजना (एससीएसपी)

अनुसूचित जाति विकास ब्यूरो के तहत यह मंत्रालय अनुसूचित जाति उप-योजना (SCSP) का क्रियान्वयन करता है, जो अनुसूचित जातियों के लाभों के लिए सभी सामान्य विकास क्षेत्रों से लक्षित वित्तीय तथा भौतिक लाभों के प्रवाह को सुनिश्चित करने वाली रणनीति है। इस रणनीति के तहत राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी वार्षिक योजनाओं के एक हिस्से के रूप में अनुसूचित जातियों की विशेष घटक योजनाओं (SCP) का संचालन तथा क्रियान्वयन करना होगा। वर्तमान में 27 राज्य तथा ऐसे केंद्र शासित प्रदेश- जिनके पास अनुसूचित जातियों की बड़ी संख्या है, अनुसूचित जाति उप-योजना का क्रियान्वयन कर रहे हैं।

विशेष प्रोत्साहन योजना

अनुसूचित जातियों के विकास का अन्य नीतिगत प्रयास है विशेष घटक योजना को विशेष केंद्रीय सहायता, जिसमें राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की अनुसूचित जाति उपयोजनाओं को शत-प्रतिशत सहायता दी जाती है, जिसके कुछ आधार हैं जैसे- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या, राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों में अनुसूचित जाति का तुलनात्मक पिछड़ापन, राज्य/केंद्र शाषित प्रदेशों में अनुसूचित जाति के परिवारों को गरीबी की रेखा के नीचे से ऊंचा उठाने के लिए लागू समेकित आर्थिक विकास कार्यक्रमों की प्रतिशतता, राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की अनुसूचित जाति जनसंख्या की प्रतिशतता के मुकाबले वार्षिक योजना के लिए अनुसूचित जाति उप-योजना की प्रतिशतता।

इस मंत्रालय के तहत गठित राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त तथा विकास निगम गरीबी की रेखा से दोगुना नीचे बसर करने वाली अनुसूचित जातियों के लोगों की आय सृजन गतिविधियों के लिए ऋण सुविधा प्रदान करता है (वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रु. 40,000 वार्षिक तथा शहरी इलाकों के लिए रु. 55,000 वार्षिक)।

मैट्रिक के बाद छात्रवृत्ति की योजना

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति तथा जनजाति वित्त तथा विकास निगम की स्थापना भारत सरकार द्वारा 8 फरवरी 1989 को की गई थी, जिसका नाम राष्ट्रीय अनुसूचित जाति तथा जनजाति वित्त तथा विकास निगम (NSFDC) पड़ा। इसे कंपनी अधिनियम 1956 के तहत अनुच्छेद 25 (कंपनी जो लाभ के लिए काम नहीं करती है) के अधीन एक पूर्ण रूप से सरकारी कंपनी के रूप में शामिल कर लिया गया।

इसे गरीबी की रेखा से दोहरा नीचे बसर करने वाले लोगों के आर्थिक उत्थान के लिए वित्त मुहैय्या कराने तथा फंड की उपलब्धता का कार्यभार सौंपा गया है। यह संबंधित राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों प्रशासन द्वारा नामित, राज्य चैनेलाइजिंग एजेंसी के जरिए लक्षित समूहों के लिए आय सृजन योजनाओं हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करते है। इसका प्रबंधन एक निदेशक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें केंद्र सरकार, राज्य अनुसूचित जाति विकास निगम, अनुसूचित जातियों के वित्तीय संस्थान तथा गैर-सरकारी सदस्य शामिल होते हैं।

उद्देश्य

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति तथा जनजाति वित्त तथा विकास निगम गरीबी की रेखा से दोहरा नीचे बसर करने वाले अनुसूचित जातियों के लोगो को आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा अन्य स्रोतों से वित्त तथा फंड उपलब्ध कराने वाली शीर्ष संस्थान है।

क्षमता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम

  1. वस्त्र प्रौद्योगिकी, कम्यूटर प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक टेस्ट इंजीनियरिंग, मोबाइल फोन रिपेयरिंग, बीपीओ कॉल सेंटर तथा ऑटोमोबाइल रिपेयरिंग इत्यादि जैसे उभरते रोजगारों में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति तथा जनजाति वित्त तथा विकास निगम लक्षित समूह के शिक्षित बेरोजगार युवकों के लिए अपने SCAs के जरिए योग्यता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाता है।
  2. ये कार्यक्रम प्रतिष्ठित सरकारी/अर्ध सरकारी/स्वायत्त संस्थानों द्वारा चलाए जाते हैं तथा प्रशिक्षु को प्रशिक्षण के दौरान प्रति माह 500/- रु. भत्ता मिलता है। जून 2009 से इस भत्ते की राशि बढ़ाकर 1000/- रु. प्रति माह कर दी गई है।
  3. लाभार्थियों को नौकरी पाने में भी सहायता दी जाती है और उन्हें अपना खुद का रोजगार आरंभ करने के लिए मदद प्रदान की जाती है, जिसके लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति तथा जनजाति वित्त तथा विकास निगमके जरिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

अधिनियम

अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की सं. 33 ऐसा अधिनियम जो अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के खिलाफ होने वाले अत्याचार के अपराधों की रोकथाम करता है, ऐसे अपराधों के लिए विशेष अदालत प्रदान करता है तथा ऐसे अपराधों के शिकार व्यक्तियों को राहत व पुनर्वास प्रदान करता है।

अनुसूचित जाति कल्याण संगठन





From:https://hi.vikaspedia.in/

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